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आज के समाज में ज्योतिष विद्द्या का अत्याधिक व्यवसायीकरण होने के कारन इसका स्वरूप ही बदला सा लगता है मानव मात्र इसे मात्र दुखों को दूर करने का तरीका समझता है और ज्योतिषी भी उस जातक को केवल वर्तमान दशा अन्तर्दशा के अनुसार उपायों के द्वारा लाभ प्राप्त करने का तरीका बताता है !

जबकि यह सत्य नहीं है शास्त्रों की मानें तो हमारी जन्म कुंडली हमारे पूर्व जन्म कृत कर्मों के आधार पर ग्रहों की स्थिति के अनुसार शुभ-अशुभ कर्मों का लेखा जोखा दर्शाती है ! जिससे जातक वर्तमान में क्या करे क्या न करे को जान कर क्रियमाण शुभ कर्मों के द्वारा अपना जीवन सुखी कर सकता है और जरूरी है समाज में ऐसे ज्योतिषियों का निर्माण करना जो पूर्णतया संकारित हों हिन्दू संस्कृति का सम्मान करते हों पालन करते हों !वैदिक ज्योतिष विद्द्या के मर्म को जानते हों ताकि न्यायोचित धन अर्जन के साथ-साथ जन कल्याण भी करे

हमारा उद्देश्य समाज को सु संस्कृत करना है ताकि समाज अंदरूनी तोर परविवेकशील हो वोह सही-गलत को जान कर अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक हो ताकिएक स्वच्छ समाज का निर्माण हो सके और भारत का नाम रोशन हो

इसके लिए केन्द्र निम्न प्रकार से समर्पित है

१. भारतीय ज्योतिष संस्थान हरिद्वार द्वारा निर्देशित एवं संकलित ज्योतिष शिक्षा प्रणाली को नियमित शिक्षा के द्वारा सात्विक एवं स्वच्छ वातावरण में उच्च कोटि के ज्ञान संपन्न “ज्योतिषी” का निर्मान् करना !

२. समय-समय पर अनुभवी ज्योतिषियों द्वारा विद्यार्थियों को प्रशिक्षण प्रदान करना !

हर रोज की समस्याएं जैसे बीमारी,धन की बे बरकती,घर में तनाव,बच्चों मेंसंस्कार हीनता इत्यादि से मुक्ति पाने के लिए नित्य,मासिकएवं वार्षिक रूप में “पञ्चमहायज्ञ” युक्त “वेदोक्त जीवन शैली” को सिखाना एवं समय -समय पर इस सम्बन्ध में शिविर लगाना !
समय -समय पर गीता,रामायण,उपनिषद,पुराणों एवं अन्य हिन्दू ग्रंथों आदि के अंतर्गत विद्वानों द्वारा ज्ञान-गोष्ठी का आयोजन करना !
विद्यालयों में पढ़ रहे प्राथमिक,माध्यमिक एवं मैट्रिक स्तर के विद्द्यार्थियों को हिन्दू संस्कृति से ओत-प्रोत पाठन सामग्री निशुल्क प्रदान कर अभ्यास करवा कर परीक्षा के द्वारा जाँच कर प्रमाण पत्र एवं पारितोषक देकर उन्हें उत्साहित करना एवं हिन्दू कर्मकांड के अंतर्गत नित्य करनीय कर्तव्य कर्म सिखा कर उन्हें सुसंस्कृत कर उनका बोध्हिक एवं मानसिक स्तर ऊँचा उठाना जिससे समाज से भ्रष्टाचार,व्यभिचार,रिश्वत-खोरी जैसी भयानक बिमारियों का समूल नाश किया जा सके !

3. समाज के किसी भी प्राणी के जीवन की समस्याओं के वेदोक्त पद्धति के अनुसार जन्म कुंडली या प्रश्न कुंडली के आधार पर पूर्ण फलादेश प्रदान करना !!
हमारा मुख्या उद्देश्य साधारण समाज को दान न दिलवा कर उसे अध्यात्मिकउन्नति के द्वारा कर्तव्य परायण बना कर इस योग्य बनाना की वह समाज की सेवाकरे ! एवं इश्वर से मांगे, न की किसी व्यक्ति विशेष से